भोपाल एम्स ने हासिल की एक और बड़ी उपलब्धि, 3 डी प्रिंटिंग तकनीक से होगा हड्डी रोग का निशुल्क इलाज

भोपाल
 एम्स भोपाल में एक और नई सुविधा शुरु हो गई है, जो अब तक देश के चुनिंदा अस्पतालों में ही थी. इस सुविधा के शुरु होने से एम्स भोपाल में हड्डी रोग के मरीजों का अधिक सटीकता के साथ इलाज किया जा सकेगा. इसमें ऑपरेशन का खर्च निशुल्क रहेगा और मरीज को ज्यादा दवाइयां भी नहीं लेनी पड़ेगी. एम्स भोपाल के डाक्टरों ने बताया कि, इस तकनीक से हड्डी रोग के इलाज में नई क्रांति आएगी. मध्य प्रदेश समेत आसपास के लोगों को उपचार की बेहतर सुविधा मिलेगी.

3 डी प्रिंटिंग तकनीक से किया सफल इलाज
एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर अजय सिंह ने बताया कि, ''ऑर्थोपेडिक्स विभाग में अब इन-हाउस 3 डी प्रिंटिंग सुविधा की शुरुआत की गई है, जो चिकित्सा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. हाल ही में इस तकनीक का उपयोग करते हुए एक डिस्टल फीमर मैलयून के जटिल मामले का सफलतापूर्वक सर्जिकल सुधार किया गया है. इस प्रक्रिया के लिए रोगी-विशिष्ट 3-डी प्रिंटेड कटिंग गाइड का निर्माण एम्स भोपाल में ही किया गया, और यह पूरी तरह निःशुल्क प्रदान किया गया, जिससे मरीज पर कोई आर्थिक बोझ नहीं पड़ा.''

पेशेंट फर्स्ट के आधार पर होगा इलाज
3-डी प्रिंटिंग तकनीक की मदद से हड्डियों की सर्जरी अधिक सटीक, सुरक्षित और प्रभावी बनती है. यह मरीजों को उनकी विशेष शारीरिक संरचना के अनुसार कस्टमाइज्ड उपचार उपलब्ध कराती है, जो पारंपरिक तरीकों की तुलना में बेहतर परिणाम देती है. इस तकनीक का उपयोग भविष्य में कई अन्य जटिल मामलों में भी किया जाएगा. प्रो. सिंह ने बताया कि, ''एम्स भोपाल में इन-हाउस 3 डी प्रिंटिंग सुविधा की शुरुआत चिकित्सा विज्ञान में एक बड़ी प्रगति है. यह तकनीक हमें हर मरीज के लिए व्यक्तिगत और सटीक उपचार की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करती है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सुविधा मरीजों को बिना किसी आर्थिक बोझ के उपलब्ध कराई जा रही है, जो हमारे पेशेंट फर्स्ट दृष्टिकोण को दर्शाती है.''

3 डी प्रिंटिंग तकनीकी से ये होगा फायदा
अब तक हड्डी रोग की सर्जरी में धातु प्रत्यारोपण और दान की गई हड्डी का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें सर्जन मरीज के शारीरिक रचना के अनुसार उसमें ऊतक प्रदान करते हैं. लेकिन कई बार यह मरीज की शारीरिक संरचना के अनुसार फिट नहीं होता है. अब इन समस्याओं को दूर करने के लिए 3 डी प्रिंटर तकनीकी का इस्तेमाल किए जाने से हड्डी की जगह धातु की प्लेट लगाने की जरुरत नहीं होती. इससे संक्रमण का खतरा भी नहीं रहेगा.

India Edge News Desk

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